Iran Israel War: मध्य पूर्व की भू-राजनीति में दशकों से चली आ रही ईरान और इजरायल की दुश्मनी हाल के दिनों में एक खतरनाक मोड़ ले चुकी है। जो संघर्ष पहले परदे के पीछे से, प्रॉक्सी समूहों और गोपनीय अभियानों के ज़रिए लड़ा जा रहा था, वह अब सीधे टकराव में तब्दील हो गया है। हाल ही में दोनों देशों के बीच हुए सीधे सैन्य हमले इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि अब यह “छाया युद्ध” (Shadow War) एक पूर्ण पैमाने पर युद्ध का रूप ले सकता है, जिसके गंभीर परिणाम न केवल इन दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए हो सकते हैं।
यह लेख Iran Israel War के बीच के इस जटिल और बहुआयामी संघर्ष की पूरी पड़ताल करेगा, जिसमें इसके ऐतिहासिक संदर्भ से लेकर हाल के घटनाक्रम, प्रमुख खिलाड़ियों की भूमिका और भविष्य के संभावित परिदृश्यों का विस्तृत विश्लेषण शामिल है।

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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: दोस्ती से दुश्मनी तक का सफ़र
आज एक-दूसरे के खून के प्यासे दिखने वाले ईरान और इजरायल के रिश्ते हमेशा से ऐसे नहीं थे। 1979 की ईरानी क्रांति से पहले, पहलवी राजवंश के शासन में ईरान और इजरायल के बीच घनिष्ठ राजनयिक और सैन्य संबंध थे। दोनों ही देश उस समय अमेरिका के प्रमुख सहयोगी थे और एक साझा अरब राष्ट्रवाद के खतरे को महसूस करते थे।
हालांकि, 1979 में अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में हुई इस्लामी क्रांति ने सब कुछ बदल दिया। खुमैनी ने इजरायल को “छोटा शैतान” (Little Satan) और अमेरिका को “बड़ा शैतान” (Great Satan) करार दिया। ईरान ने इजरायल के अस्तित्व को मान्यता देने से इनकार कर दिया और फिलिस्तीनी मुद्दे का प्रबल समर्थक बन गया। यहीं से दोनों देशों के बीच दुश्मनी के एक नए और लंबे युग की शुरुआत हुई।
छाया युद्ध (Shadow War): दशकों का अप्रत्यक्ष टकराव

क्रांति के बाद के दशकों में, ईरान और इजरायल ने सीधे तौर पर एक-दूसरे से सैन्य टकराव से परहेज किया, लेकिन वे एक-दूसरे को कमजोर करने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। यह दौर “छाया युद्ध” के नाम से जाना जाता है, जिसकी मुख्य विशेषताएं थीं:
- प्रॉक्सी समूहों का समर्थन: ईरान ने इजरायल के खिलाफ लेबनान में हिजबुल्लाह, गाजा में हमास और इस्लामिक जिहाद जैसे सशस्त्र समूहों को आर्थिक और सैन्य सहायता देना शुरू किया। ये समूह समय-समय पर इजरायल पर हमले करते रहे हैं, जिन्हें ईरान का परोक्ष समर्थन प्राप्त होता है।
- सीरिया का अखाड़ा: सीरिया का गृहयुद्ध दोनों देशों के लिए एक प्रमुख युद्ध का मैदान बन गया। ईरान ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार का समर्थन करने के लिए अपने सैनिक और हथियार भेजे, वहीं इजरायल ने सीरिया में ईरानी ठिकानों और हथियारों के काफिलों पर सैकड़ों हवाई हमले किए, ताकि ईरान को अपनी सीमा के पास एक स्थायी सैन्य उपस्थिति बनाने से रोका जा सके।
- ईरान का परमाणु कार्यक्रम: ईरान का परमाणु कार्यक्रम इजरायल के लिए हमेशा से एक अस्तित्व का खतरा रहा है। इजरायल का मानना है कि ईरान शांतिपूर्ण उद्देश्यों की आड़ में परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। इसे रोकने के लिए, इजरायल पर ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों की हत्याओं और परमाणु प्रतिष्ठानों पर साइबर हमलों (जैसे स्टक्सनेट वायरस) को अंजाम देने के आरोप लगते रहे हैं।
- गोपनीय अभियान और जासूसी: दोनों देशों की खुफिया एजेंसियां (इजरायल की मोसाद और ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स) एक-दूसरे के खिलाफ जासूसी, हत्याओं और गोपनीय अभियानों में लगातार शामिल रही हैं।
हालिया टकराव: जब छाया युद्ध से बाहर आया ‘युद्ध’
अप्रैल 2024 में दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हुए एक संदिग्ध इजरायली हवाई हमले ने इस सुलगते संघर्ष में घी का काम किया। इस हमले में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कई अधिकारी मारे गए।
इस हमले के जवाब में, ईरान ने 13 अप्रैल, 2024 को सीधे इजरायल पर 300 से अधिक ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया। यह पहली बार था जब ईरान ने अपनी धरती से सीधे इजरायल पर हमला किया। हालांकि, इजरायल ने अपने उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों और अमेरिका, ब्रिटेन, और जॉर्डन जैसे सहयोगियों की मदद से लगभग सभी हमलों को विफल करने का दावा किया।
इसके बाद, इजरायल ने भी ईरान के अंदर, विशेष रूप से इस्फ़हान शहर के पास एक सैन्य हवाई अड्डे को निशाना बनाते हुए जवाबी कार्रवाई की। इन सीधे हमलों ने दशकों के अप्रत्यक्ष संघर्ष के नियमों को तोड़ दिया और पूरे क्षेत्र को एक बड़े युद्ध के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया।
Iran Israel War 2025: दोनों देशों की सैन्य ताकत की तुलना
शक्ति | ईरान | इज़राइल |
---|---|---|
सेना | 5 लाख+ सैनिक | 1.7 लाख+ सक्रिय सैनिक |
एयरफोर्स | 500+ विमान | 600+ आधुनिक विमान |
परमाणु शक्ति | विवादास्पद (गुप्त) | अनुमानतः 90+ न्यूक्लियर बम |
मिसाइल सिस्टम | शहाब-3, फतेह-110 | आयरन डोम, एरो सिस्टम |
प्रमुख खिलाड़ियों की भूमिका और उनके उद्देश्य
- ईरान: ईरान का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में अपने प्रभाव को बढ़ाना, इजरायल को एक नाजायज राष्ट्र के रूप में चित्रित करना और अमेरिकी उपस्थिति का विरोध करना है। परमाणु क्षमता हासिल करना ईरान के लिए एक निवारक के रूप में कार्य कर सकता है और उसे एक प्रमुख क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित कर सकता है।
- इजरायल: इजरायल के लिए, ईरान एक अस्तित्वगत खतरा है। उसका मुख्य उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना, हिजबुल्लाह जैसे प्रॉक्सी समूहों को कमजोर करना और मध्य पूर्व में अपनी सैन्य श्रेष्ठता बनाए रखना है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका इजरायल का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी है। वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंतित है और क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना चाहता है। अमेरिका ने ईरान पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं और इजरायल को सैन्य सहायता प्रदान करता है।
- अन्य क्षेत्रीय ताकतें: सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे सुन्नी अरब देश भी ईरान के बढ़ते प्रभाव को एक खतरे के रूप में देखते हैं और हाल के वर्षों में उन्होंने इजरायल के साथ अपने संबंधों को सुधारा है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और प्रभाव
ईरान और इजरायल के बीच सीधे टकराव ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और दुनिया के प्रमुख देशों ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और तनाव कम करने की अपील की है।
इस संघर्ष का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर ऊर्जा क्षेत्र में। होर्मुज जलडमरूमध्य, जहां से दुनिया का लगभग 20% तेल गुजरता है, ईरान के नियंत्रण में है और किसी भी बड़े संघर्ष की स्थिति में इस मार्ग के बाधित होने का खतरा है, जिससे तेल की कीमतों में भारी उछाल आ सकता है।
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भविष्य के परिदृश्य: आगे क्या?

Iran Israel War: ईरान इज़राइल तनाव एक ऐसे मोड़ पर है जहां भविष्य अनिश्चितताओं से भरा है। कुछ संभावित परिदृश्य इस प्रकार हैं:
- पूर्ण पैमाने पर युद्ध: यह सबसे खतरनाक परिदृश्य है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे पर विनाशकारी हमले कर सकते हैं, जिससे बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान होगा और पूरा मध्य पूर्व अस्थिर हो जाएगा।
- छाया युद्ध की वापसी: अंतरराष्ट्रीय दबाव और युद्ध के विनाशकारी परिणामों को देखते हुए, दोनों देश सीधे टकराव से बच सकते हैं और अपने पुराने “छाया युद्ध” के तरीकों पर लौट सकते हैं।
- एक नाजुक शांति: कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से एक अस्थायी शांति स्थापित की जा सकती है, लेकिन जब तक दोनों देशों के बीच के मुख्य मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता, तब तक यह शांति नाजुक बनी रहेगी।
- ईरान का परमाणुकरण: यदि ईरान परमाणु हथियार विकसित करने में सफल हो जाता है, तो यह क्षेत्र के शक्ति संतुलन को पूरी तरह से बदल देगा और एक नए और अधिक खतरनाक चरण की शुरुआत करेगा।
Podcast: Iran Israel War
Iran Israel War: निष्कर्ष रूप में, ईरान और इजरायल के बीच का यह संघर्ष (ईरान इज़राइल युद्ध 2025) केवल दो देशों की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह मध्य पूर्व के भविष्य और वैश्विक शक्ति संतुलन को आकार देने वाली एक जटिल भू-राजनीतिक पहेली है। आने वाला समय ही बताएगा कि यह क्षेत्र शांति की ओर बढ़ता है या एक और विनाशकारी युद्ध की आग में झुलसता है। दुनिया की नजरें इस संवेदनशील क्षेत्र पर टिकी हुई हैं, जहां एक छोटी सी चिंगारी भी एक बड़ी आग को भड़का सकती है।