History of Patliputra in Hindi: पाटलिपुत्र, जिसे वर्तमान में पटना के नाम से जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक नगरों में से एक है। इस नगर का इतिहास विभिन्न युगों, राजवंशों और संस्कृतियों के उत्थान और पतन की गाथा से भरा पड़ा है। यह नगर महात्मा बुद्ध के समय से लेकर महान सम्राट अशोक के शासनकाल तक भारतीय इतिहास के प्रमुख केन्द्र में रहा है।
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प्राचीन पाटलिपुत्र के संस्थापक
Patliputra: पाटलिपुत्र की स्थापना का श्रेय राजा अजातशत्रु को दिया जाता है, जिन्होंने इसे मगध की राजधानी बनाया। उनकी इस रणनीतिक चाल ने पाटलिपुत्र को एक प्रमुख राजनीतिक और सैन्य केंद्र में परिवर्तित कर दिया।
प्रारंभिक इतिहास
पाटलिपुत्र की स्थापना लगभग 490 ईसा पूर्व में मगध राज्य के राजाओं द्वारा की गई थी। इसका प्रारंभिक नाम “पाटलिग्राम” था, जो धीरे-धीरे “पाटलिपुत्र” बन गया। इस नगर का इतिहास मगध राज्य की स्थापना के समय से ही जुड़ा हुआ है।
मौर्य काल
पाटलिपुत्र का स्वर्णिम युग मौर्य साम्राज्य के समय में आया। चंद्रगुप्त मौर्य ने 321 ईसा पूर्व में इस नगर को अपनी राजधानी बनाया। उनके प्रधानमंत्री चाणक्य ने इस नगर के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चंद्रगुप्त मौर्य के पश्चात, उनके पुत्र बिंदुसार और पोते अशोक ने इस नगर को और अधिक विकसित किया।
अशोक का शासनकाल (273-232 ईसा पूर्व) पाटलिपुत्र के इतिहास (History of Patliputra) का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय है। अशोक ने यहाँ से अपने साम्राज्य का विस्तार किया और बौद्ध धर्म का प्रचार किया। उनके शासनकाल में पाटलिपुत्र बौद्ध धर्म का प्रमुख केन्द्र बन गया। यहाँ कई बौद्ध मठ और स्तूप बनाए गए।
गुप्त काल
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद पाटलिपुत्र गुप्त साम्राज्य का हिस्सा बना। चंद्रगुप्त प्रथम ने इसे अपनी राजधानी बनाया और इसे फिर से समृद्ध किया। गुप्त साम्राज्य के काल को भारतीय इतिहास का “स्वर्ण युग” कहा जाता है। इस समय में कला, साहित्य, विज्ञान और गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
मध्यकालीन इतिहास
गुप्त साम्राज्य के पतन के बाद Patliputra का महत्व कम हो गया। इस समय में यह नगर कई छोटे-छोटे राज्यों के अधीन रहा। इस नगर का पुनर्निर्माण और विकास शेरशाह सूरी के समय में हुआ। शेरशाह ने यहाँ किला और सड़कें बनवाईं, जिससे यह नगर फिर से महत्वपूर्ण बन गया।
आधुनिक काल
ब्रिटिश शासन के दौरान पाटलिपुत्र का नाम बदलकर पटना कर दिया गया। यह नगर बंगाल प्रेसिडेंसी का हिस्सा बना और यहाँ ब्रिटिश प्रशासनिक केंद्र स्थापित किए गए। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय में भी पटना का महत्वपूर्ण योगदान रहा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह नगर बिहार राज्य की राजधानी बना।
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पटना का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
पटना केवल राजनीतिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ बौद्ध, जैन, सिख और हिंदू धर्मों के महत्वपूर्ण स्थल हैं।
महावीर का जन्म
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म पटना के पास वैशाली में हुआ था। इस क्षेत्र में जैन धर्म के कई महत्वपूर्ण स्थल हैं।
सिख धर्म का महत्व
पटना सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थान है। यहाँ स्थित तख्त श्री पटना साहिब सिख धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।
निष्कर्ष – History of Patliputra in Hindi
History of Patliputra: पाटलिपुत्र का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप के समृद्ध और विविध इतिहास का प्रतीक है। यह नगर विभिन्न युगों और संस्कृतियों के संगम का साक्षी रहा है। आज पटना एक आधुनिक और विकसित नगर है, लेकिन इसके ऐतिहासिक महत्व को भुलाया नहीं जा सकता।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. पाटलिपुत्र का प्राचीन नाम क्या था?
पाटलिपुत्र का प्राचीन नाम पाटलिग्राम था।
2. मौर्य साम्राज्य के किस सम्राट ने पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया था?
चंद्रगुप्त मौर्य ने पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया था।
3. अशोक के शासनकाल में पाटलिपुत्र का क्या महत्व था?
अशोक के शासनकाल में पाटलिपुत्र बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र बन गया था।
4. गुप्त साम्राज्य के समय पाटलिपुत्र का क्या महत्व था?
गुप्त साम्राज्य के समय पाटलिपुत्र कला, साहित्य, विज्ञान और गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति का केंद्र था।
5. पटना का सिख धर्म में क्या महत्व है?
पटना सिख धर्म के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का जन्मस्थान है और यहाँ स्थित तख्त श्री पटना साहिब सिख धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।